सिंगाजी मेला, पिपलिया सिंगाजी, खण्डवा
- कब मनाया जाता है: October
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महत्व:
निमाड़ के प्रसिद्ध संत सिंगाजी मेला शरद पूर्णिमा से शुरू हो गया। इस पूरे आयोजन के दौरान करीब ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु सिंगाजी महाराज की समाधि पर मत्था टेकने आते हैं। शरद पूर्णिमा से यह मेला लगता है। निमाड़ की संस्कृति और परंपरा इस मेले में दिखती है। इसलिए यह मेला विदेशों तक अपनी पहचान बना चुका है।
निमाड़ की आस्था के प्रतीक इस मेले में झाबुआ, बड़वानी, बैतूल, खरगोन के अलावा महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों के श्रद्धालु भी आ रहे हैं। सिंगाजी समाधि पर मुख्य रूप से घी, नारियल, चिरोंजी का प्रसाद चढ़ाया जा रहा है। जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती है, वे यहां भंडारा भी करते हैं।
संत सिंगाजी को निमाड़ का कबीर भी कहा जाता है। आज भी निमाड़ में उनके जन्म स्थान व समाधि स्थल पर उनके पदचिह्नों की पूजा-अर्चना की जाती है। उनके चमत्कार आज भी लोग महसूस करते हैं। वे नर्मदांचल की महान विभूति थे। पशुपालक उन्हें पशु दूध और घी अर्पण करते हैं। इन स्थानों पर घी की अखण्ड ज्योत भी प्रज्वलित रहती है।
सिंगाजी महाराज का समाधि स्थल इंदिरासागर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने की वजह से उस मंदिर को 50-60 फीट के परकोटे से सुरक्षित किया गया है ।